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Papmochani Ekadashi 2025 व्रत कथा :
युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा हे ! केशव कृपा कर आप मुझे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली पाप मोचनी एकादशी के विषय में बताएं। यह सुन मधुसूदन श्री कृष्ण बोले हे राजन ! पाप मोचनी

एकादशी के इस व्रत को करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है | और व्यक्ति अष्ट सिद्धियों को प्राप्त करता है। पाप मोचनी एकादशी की व्रत कथा के अनुसार अनेक वर्षों पूर्व देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर के पास चैत्र रथ नाम काअत्यंत सुंदर उपवन था । जिस उपवन में भोलेनाथ के परम भक्त मेधावी ऋषि तपस्या कर रहे थे। अनेक अप्सराओं ने उनकी तपस्या भंग करने का प्रयास किया। परंतु वह निष्फल रही। इसीलिए मंजू घोष नाम की एक अप्सरा ने ऋषि की तपस्या भंग करने का निश्चय किया। मेधावी मुनि के आश्रम से कुछ दूरी पर वह मधुर वीणा बजाने लगी और गायन करने लगी। मेधावी मुनि घूमते हुए उसकी ओर गए और उसे इस प्रकार गायन करता हुआ देख मोह के वशीभूत हो गए और उसके साथ रमण करने लगे। भगवान भोलेनाथ के रहस्य को वह भूल गए। ऐसे ही रमण करते हुए बहुत समय बीत गया। एक दिन अप्सरा मंजू घोषा देवलोक वापस जाने लगी। जाते समय उसने मुनि से कहा हे ब्राह्मण अब आप मुझे मेरे देश जाने की आज्ञा दीजिए। तब मेधावी मुनि बोले हे देवी जब तक सवेरे की संध्या ना हो जाए तब तक आप यहीं ठहरो। तब मंजु घोष बोली हे मुनिवर ! अब तक न जाने कितनी संध्याएं चली गई। मुझ पर कृपा कर आप बीते हुए समय का विचार कीजिए। तब मंजु घोष की बात सुन मेधावी ऋषि ने बीते हुए समय का हिसाब लगाया। तब उन्हें पता चला कि उन्हें इस अप्सरा के साथ वर्ष बीत गए हैं। मंजू घोषा को अपनी तपस्या का विनाश करने वाली जानकर मेधावी मुनि उस पर क्रोधित हो गए और उन्होंने उसे श्राप देते हुए कहा पापिनी तुमने मेरी कठोर तपस्या को नष्ट किया है। मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम पिशाच योनि में चली जाओगी। मुनि के श्राप को सुनकर मंजू घोष विनम्रता सेबो ली हे मुनिवर ! मैंने आपके साथ अनेकों वर्ष व्यतीत किए हैं। मुझ पर कृपा कीजिए। तब मेधावी मुनि बोले क्या करूं तुमनेमे री बहुत बड़ी तपस्या नष्ट की है। चैत्रकृष्ण पक्ष में जो शुभ एकादशी आती है उसका नाम पाप मोचनी एकादशी है। वह सभी पापों का नाश करने वाली है। हे सुंदरी इस एकादशी का व्रत करने पर तुम्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिल जाएगी। ऐसा कहकर मेधावी मुनि अपने पिता चवन मुनि के आश्रम में चले गए। उन्हें देखकर चवन मुनि नेपू छा बेटा यह क्या अनर्थ कर दिया तुमनेतो अपने पुण्यों का नाश कर दिया। तब मेधावी मुनि बोले पिताजी मैंने पाप किया है। कृपा कर कोई ऐसा प्रायश्चित बताएं जिससे मेरे पापों का नाश हो जाए। तब चवन मुनि ने कहा चैत्र कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी का व्रत करने पर तुम्हारे भी पापों का नाश हो जाएगा। यह सुन मेधावी मुनि ने विधि पूर्वक पाप मोचनी एकादशी का अनुष्ठान किया। जिसके प्रभाव से उनका पाप नष्ट हो गया और वह तपस्या से परिपूर्ण हुए। इसी प्रकार मंजू घोष ने भी पापमोचनी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन किया। जिसके प्रभाव से वह पिशाच की योनि से मुक्त हुई और दिव्य रूप धारण कर स्वर्ग लोक चली गई। हे राजन ! जो मनुष्य पाप मोचनीएकादशी का व्रत करते हैं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं ! और पाप मोचनी एकादशी की अद्भुत कथा को आस्तिक जगत के मध्याम से पढ़ने वाले भक्तों को सहस्त्र गौदान का फलप्राप्त होता है । जय श्री हरि विष्णु
कब मनाई जाएगी Papmochani Ekadashi ?
इस बार Papmochani Ekadashi 25 व 26 मार्च, दोनों दिन मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च की सुबह 5 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 26मार्च को तड़के 3 बजकर 45 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर एकादशी तिथि मंगलवार, 25 मार्च को है.
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पापमोचिनी एकादशी पारण का समय Papmochani Ekadashi 2025
जो लोग 25 मार्च का एकादशी का उपवास रखने वाले हैं, उनके लिए पारण का समय 26 मार्च दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से शाम 04 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है.
पापमोचनी एकादशी पूजन मंत्र (Papmochni Ekadashi 2025 Mantra)
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
।।हरि शरणं।।