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चैत्र नवरात्रि

जय माता दी आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की परंपरा भी सदियों से चली आरही है कहते हैं कि जहां शुभ मुहूर्त मेंघट स्थापना यानी कि कलश स्थापना की जाती है तो वहां पर सदा ही मां दुर्गा का आशीर्वाद बना रहता है उस घर में या परिवार के सदस्यों पर संकटों के बादल कभी नहीं मंडराते इसीलिए | भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार नवरात्रि के दिनों में मां भगवती के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना करके उपवास भी रखते हैं | तो आइये हम आस्तिक जगत के माध्यम से जानते है की इस बार चैत्र नवरात्रि कब से प्रारंभ होंगी | कब समाप्त होंगी अष्टमी और नवमी तिथि कब रहेगी और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा | इस बार तिथियों की गड़बड़ के कारण आपके मन में यह प्रश्न भी जरूर होगा कि नवरात्रि में किस दिन किस देवी मां की पूजा की जाएगी | तथा अष्टमी और नवमी तिथि क्या इस बार एक ही दिन पड़ रही है ? या फिर अलग-अलग दिन में अपने मुहूर्त के अनुसार ही पूजा की जाएगी साल में चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होंगी 30 मार्च दिन रविवार से और चैत्र नवरात्रि व्रत समाप्त होंगे 6 अप्रैल दिन रविवार को यानी कि रविवार के दिन से ही व्रत प्रारंभ होंगे |
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और जब भी रविवार के दिन से व्रत प्रारंभ होते हैं तो ऐसे में मां दुर्गाकी सवारी हाथी माना जाता है | दिनों के आधार पर माता की सवारी निर्धारित होती है | और हाथी पर आगमन बहुत ही शुभ संकेत देता है हाथी पर ही इस बार माता प्रस्थान भी करेंगी | प्रतिपदा तिथि 29 मार्च दिन शनिवार को शाम 4:28 से प्रारंभ होगी और प्रतिपदा तिथि समाप्त होगी 30 मार्च दिन रविवार को दोपहर 12:49 पर प्रतिपदा तिथि में कलश की स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा सुबह 6:13 से 10:22 तक इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त को भी कलश स्थापना के लिए बहुत ही उत्तम मुहूर्त माना जाता है | जो कि दोपहर 12:01 से 12:50 तक रहेगा और इस बार अष्टमी तिथि यानी दुर्गाष्टमी का व्रत रहेगा 5 अप्रैल दिन शनिवार को और रामनवमी यानी दुर्गा नवमी 6 अप्रैल दिन रविवार को मनाई जाएगी कलश विसर्जन दुर्गा विसर्जन और नवरात्रि व्रत का पारना किया जाएगा 7 अप्रैल दिन सोमवार को दशमी तिथि 6 अप्रैल दिन रविवार को शाम 7:24 से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 7 अप्रैल सोमवार को रात 8 बजे तक समाप्त होगी | वैसे तो दशमी तिथि में ही कलश विसर्जन और नवरात्रि व्रतका पारना करना चाहिए | लेकिन बहुत से भक्त अष्टमी तिथि के दिन जिनके घर में कन्या पूजन होता हो वो कन्या पूजन करने के बाद अन्न ग्रहण कर लेते हैं | तो कुछ लोग नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करके अन्न ग्रहण कर लेते हैं और फिर नवमी तिथि को ही शाम के समय सूर्यास्त से पहले पहले कलश विसर्जन भी कर लेते हैं | ऐसे में अगर हो सके तो आपको दशमी तिथि के दिन ही माता की चौकी हटानी चाहिए | कलश का विसर्जन भी दशमी तिथि को ही करना चाहिए | अगर बात करें इस बार नवरात्रि में किस दिन किस देवी मां की पूजा की जाएगी तो इस बार जैसा कि आप जानते ही हैं | 30 मार्च से नवरात्रि प्रारंभ होंगी तो इस दिन तो घट स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी | इसके बाद अगले दिन दो तिथि एक साथ पड़ रही हैं | तो दो तिथि में यानी मां ब्रह्मचारिणी और मां चंद्रघंटा की पूजा एक साथ की जाएगी | एक ही दिन की जाएगी और इसके ठीक अगले दिन से क्रमशः मां कुषमांडा मां स्कंद माता मां कात्यायनी मां कालरात्रि मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी | अगर आपनवरात्रि के व्रत रखते हैं तो इस बात का आपको विशेष ध्यान देना है | कि नवरात्रि में केवल और केवल दूसरे दिन दो देवियों की पूजा एक साथ की जाएगी बाकी आपको लगातार जिस क्रम से पूजा करनी होती है | उसी क्रम से करनी होगी अष्टमी तिथि 4 अप्रैल शुक्रवार की रात 8:13 से प्रारंभ होगी और जिसकी समाप्ति अगले दिन यानी 5 अप्रैल शनिवार को शाम 7:26 पर होगी इसके बाद से ही नवमी तिथि प्रारंभ होगी | तो ऐसे में आप ध्यान ज़रूर रखिएगा कि मां महागौरी की पूजा यानी अष्टमी तिथि की पूजा आपको 5 अप्रैल दिन शनिवार को करनी है | नवमी तिथि अप्रैल शनिवार को शाम 7:27 से प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 6 अप्रैल रविवार को शाम 7:23 पर समाप्त होगी तो ऐसे में उदय तिथि के अनुसार जो नवमी तिथि प्राप्त होगी वह होगी 6 अप्रैल दिन रविवार को और इसी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी औ राम वमी का व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा । चैत्र नवरात्रि में माता अधिक शक्तिशाली होती हैं इसी लिए चैत्र नवरात्रि में माता की पूजा करनी चाहिए । चैत्र नवरात्रि में पूरे विधि पूर्वक पूजा पाठ कर के ब्राह्मणों और कन्याओं को भोजन करना चाहिए । चैत्र नवरात्रि में इतना सब करने के बात माता और प्रसन्न होती है । अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो वीडियो को लाइक और आस्तिक जगत को सबस्क्राइब करते हुए कमेंट बॉक्स में जय माता दी भी जरूर लिखिएगा धन्यवाद |
।।हरि शरणं।।