Pradosh vrat प्रदोष व्रत कथा एवं माहात्म्य – व्रत रखने का सही नियम

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Pradosh vrat प्रदोष व्रत रखने का सही नियम

 

भोलेनाथ की पूजा जिस दिन भी किया जाए जिस समय में किया जाए भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं | और वह दिन वह समय सर्वश्रेष्ठ हो जाता है , लेकिन भगवान भोलेनाथ को अपने सभी व्रतों मे 

Pradosh vrat प्रदोष व्रत
Pradosh vrat प्रदोष व्रत

                                                                                                                                                                                 Pradosh vrat प्रदोष व्रत  परम प्रिय है इस व्रत को जो भी व्यक्ति पूरे नियम और श्रद्धा से करता है , भगवान भोलेनाथ उन सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं | उसे मनुष्य के जो पूर्वजन्म के पाप होते हैं , वह सभी पाप नष्ट हो जाते हैं | सभी दुखों का अंत हो जाता है सुख की प्राप्ति होती है |  यहां तक की इस व्रत को अगर पूरे नियम से , विधि विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना किया जाए तो इस व्रत को करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है | श्रद्धालुओ प्रदोष काल में किए जाने वाले नियम व्रत और अनुष्ठान को Pradosh vrat प्रदोष व्रत  कहा जाता है | और भगवान भोलेनाथ को प्रदोष काल का समय बहुत प्रिय है | भगवान भोलेनाथ की जो भी पूजा होती है , वह प्रदोष काल में की जाती है | जितनी भी व्रत भगवान भोलेनाथ के होते हैं | उसमें जो पूजा का समय है वह प्रदोष काल का ही होता है | क्योंकि भगवान भोलेनाथ को यह समय बहुत प्रिय होता है | और Pradosh vrat प्रदोष व्रत  का समय होता है सूर्यास्त से डेढ़ घंटा पहले का समय और सूर्यास्त के 1 घंटे बाद का समय होता है , वह प्रदोष काल होता है | यह प्रतिदिन आता है जो शाम का समय होता है संध्या कल का समय होता है जिस समय में घर में दीया प्रज्वलित की जाती है | इस समय में भोलेनाथ की पूजा की जाती है | त्रयोदशी के दिन तो वह विशेष फलदाई होती है | इस समय में प्रतिदिन अपने घर में पूजा अवश्य करनी चाहिए | जितना भी समय आपके पास होता है , उसे आप शाम के समय जो संध्या काल का समय होता है , उसी समय अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करके , थोड़े समय के लिए ही सही वहां पर बैठे ध्यान करें , और जो भी देवी देवता ईस्ट की पूजा आप करते हैं , उनकी पूजा आपको प्रतिदिन इस समय में ही करनी चाहिए | इस समय बहुत विशेष समय होता है  |

 

 

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प्रदोष व्रत कथा

 

श्रद्धालुओ आज हम एक बहुत ही प्रचलित Pradosh vrat प्रदोष व्रत  कथा बताने जा रहे हैं | एक गांव में एक गरीब , निर्धन विधवा ब्राह्मणी रहती थी | और उसके साथ उसका एक पुत्र भी था | जिसका नाम सूर्यभान था | वे दोनों भरण पोषण के लिए प्रतिदिन भीख मांगते और जो भी मिलता उससे अपनी भूख शांत करते थे | ब्राह्मणी कई वर्षों से Pradosh vrat प्रदोष व्रत  का पालन करती आ रही थी | हर त्रयोदशी की तरह इस बार भी सूर्यभान त्रयोदशी तिथि पर गंगा स्नान के लिए निकला | स्नान कर के जब वह अपने घर की तरफ आ रहा था , तो उसे मार्ग मे कुछ लुटेरे मिल गए और सूर्यभान उन लुटेरों से अपना बचाव न कर सका और लुटेरे सूर्यभान का सारा सामना लुट कर और वहां से फरार हो गए |कुछ समय बाद वहां धर्मवीर नामक राजा के कुछ सैनिक आ पहुंचे | और उन्होंने ब्राह्मणी के पुत्र को लुटेरों में से एक समझकर राजा के सामने प्रस्तुत कर दिया | राजा ने उसको लुटेरा समझकर और सूर्यभान की दलील सुने बिना ही सूर्यभान को कारागार में डाल दिया | रात्रि में राजा के स्वप्न में भगवान शिव आए और भवन शिव ने कहा की सूर्यभान मेरा भक्त है | और उसे मुक्त करने का आदेश देकर अंतर ध्यान हो गए | राज्य धर्मवीर रात्री मे ही कारागार मे पहुचे | और युवक को मुक्त करने का आदेश दिया | राजा सूर्यभान को साथ लेकर महल लौटे जहां राजा ने सूर्यभान का सम्मान किया | और उसे दान में कुछ मांगने के लिए कहा | तो सूर्यभान ने दान के रूप में सिर्फ एक मुट्ठी धान मांगा | राजा धर्मवीर उसकी मांग सुनकर बहुत हैरान हुए , और राजा ने सूर्यभान से प्रश्न किया | कि सिर्फ एक मुट्ठी धान से तुम्हारा क्या होगा | तुम सोने , चांदी , जवाहरात , हाथी , घोड़े इत्यादि भी मांग सकते हो | ऐसा अवसर किसी को बार-बार नहीं मिलता | युवक ने बहुत ही विनम्रता पूर्वक राजा से कहा | हे राजन यह धान मेरे लिए ही सबसे बड़ा धन है | इसे मै अपनी माता को दूंगा , वह Pradosh vrat प्रदोष व्रत के पारण के बाद इससे  खीर बनाकर भगवान शिव को भोग लगाएगी | फिर हम इसे ग्रहण कर कर अपनी भूख शांत करेंगे | राजा धर्मवीर युवक की बातों को सुनकर बहुत प्रसन्न हुए | और उन्होंने मंत्री को आदेश दिया कि ब्राह्मणी को दरबार में सम्मान के साथ लाया जाए | मंत्री ब्राह्मणी को लेकर दरबार पहुंचे और उन्होंने सारी बातें ब्राह्मणी को बताएं और उनके पुत्र की प्रशंसा करते हुए ब्राह्मणी के पुत्र को अपना सलाहकार नियुक्त किया | और राज्य ने समस्त नगर मे ये घोषणा कारवाई की सब लोग त्रयोदशी के दिन भवन शंकर की आराधन करते हुए Pradosh vrat प्रदोष व्रत 

 

निष्कर्ष

तो श्रद्धालुओ इस कथा का यही निष्कर्ष है कि यदि Pradosh vrat प्रदोष व्रत  श्रद्धा, निष्ठा और सच्ची भावनाओं से किया जाय तो निश्चित ही भगवान शंकर हमे सुख संपत्ति तथा मरणोंपरांत हमे स्वर्ग मे स्थान देते है , और ऐसे व्रत से भगवान शंकर पृथ्वी लोक पर भी अपनी कृपा बरसाते हैं। चाहे हमने कितने भी पाप किए हो , चाहे हमने कभी भी ब्रम्हणो को भोजन न कराया हो किन्तु आप अगर एक Pradosh vrat प्रदोष व्रत   अगर अपने संकल्प को दृढ़ करके और पूरी ईमानदारी से करेंगे  तो भगवान हमारे दुखों को दूर कर, निश्चित ही स्वर्ग को भेजेंगे 

 

astikjagat 

।।हरि शरणं।।

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