हर हर महादेव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही भगवान शिव और देवी पार्वती जी का विवाह हुआ था | और इसीलिए यह तिथि सभी तिथियों में सबसे शुभ मानी जाती है इस दिन जगह-जगह पर धार्मिक कार्यक्रम किए जाते हैं | और जगह-जगह पर भगवान शिव और देवी पार्वती जी के विवाह का आयोजन भी होता है आज हम आस्तिकजगत के माध्यम से आपको बताएंगे की इस बार Mahashivratri महाशिवरात्रि कब है ? इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं ? भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक का समय कब से कब तक रहेगा ? प्रदोष काल निषेध काल मुहूर्त और चार पहर की पूजा के शुभ मुहूर्त के अलावा आप जानेंगे व्रत पारण यानी व्रत समापन केमुहूर्त के बारे में भी |
शिवभक्तों हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार फाल्गुन महीने की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 11:09 से प्रारंभ होगी और जिसकी समाप्ति होगी 27 फरवरी गुरुवार सुबह 8:54 पर महाशिवरात्रि में मुख्य पूजा रात के समय में की जाती है | इसलिए इस बार महाशिवरात्रि का व्रत भी 26 फरवरी को ही रखा जाएगा | और इसी दिन भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेक भी किया जाएगा | Mahashivratri महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक ब्रह्ममुहूर्त से ही प्रारंभ हो जाता है हालांकि इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए जो सबसे उपयुक्त समय है | वो सुबह का है और इस दिन सुबह 6:48 से 09:41 तक का जो समय है वो शिवलिंग का या भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है | अगर आप किसी कारण से सुबहके समय जलाभिषेक ना कर पाए तो इसके बाद 11:07 से दोपहर 12:34 के बीच में भी शिवलिंग पर जल चढ़ाया जा सकता है | इसके अलावा दोपहर में 3:36 से शाम 6:09 तक का समय और फिर रात में 8:53 से मध्यरात्रि 12:01 तक भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त रहने वाला है |और इस बार 26 फरवरी बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 5:16 से 6:04 तक रहेगा | सूर्योदय होगा सुबह 6:53 पर सूर्यास्त होगा शाम 6:25 पर इस बार Mahashivratri महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही दुर्लभऔर शुभ योगों में मनाया जाएगा | जिसमें शिव योग और सिद्धि योग हैं |