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गोत्र के अनुसार कुलदेवी ।

कुलदेवी यानी कि हमारे पूर्वजों की देवी जिनकी आराधना के बिना कोई कार्य पूर्ण नहीं हो सकता । परिवार या वंश की आराध्य देवी, जिनकी पूजा एक विशेष गोत्र, वंश या परिवार द्वारा की जाती है। कुलदेवी की पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, रक्षा और कल्याण के लिए की जाती है।
1.वंश की रक्षक: यह माना जाता है कि कुलदेवी अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और परिवार पर आने वाली आपदाओं से बचाती हैं।
2. परिवार की पहचान: प्रत्येक हिंदू परिवार या गोत्र की अपनी कुलदेवी होती है, जिनकी पूजा विशेष अवसरों, विवाह, नामकरण संस्कार और अन्य मांगलिक कार्यों में की जाती है।
3. स्थानीयता: कुलदेवी के मंदिर प्रायः गांवों या पारिवारिक मूल स्थानों पर स्थित होते हैं, और परिवार के लोग समय-समय पर वहाँ जाकर दर्शन और पूजा करते हैं।
4.नियमित पूजा: कुछ परिवार नवरात्रि या विशेष तिथियों पर कुलदेवी की पूजा अनिवार्य रूप से करते हैं।
आइए जानते है कि हमारे गोत्र के अनुसार किस कुलदेवी की आराधना करनी चाहिए ।
सभी गोत्रों की कुलदेवी
1. वामदेव :- वामेश्वरी
2. अत्रि :- शिवप्रिया
3. विश्वामित्र :- जयादेवी
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4. वशिष्ठ :- सत्या, भट्टारिका
5. भृगु (शुक्र):- विश्वेश्वरी
6. कण्व :- भद्रविलासिनी
7. शौनक :- कान्तादेवी
8. पराशर :- प्रभावती, संहारी
9. कपिल :- शान्तादेवी
10. गौतम :- विकारवशा, विशालेशा
11. जमदाग्नि :- विद्रमा
12. गर्ग :- परमेश्वरी
13. पराशर :- सर्वमंगला
14, वत्स : महामाया
15. शांडिल्य :- क्त्यायनी म
16. शौनक :- कान्तादेवी
17. जिन्दल :- बाला सुन्दरी
18. भारद्वाज :- योगेश्वरी
19. मार्कण्डेय :- विंध्यवासिनी
20. कश्यप :- ज्वालामुखी
21. यज्ञवल्क्य :- दुर्गेश्वरी
22. सावर्ण :- दुर्गा माँ
कुलदेवी या कुलदेवता परिवार या वंश की रक्षा और समृद्धि के लिए पूजित देवी-देवता होते हैं। यदि उनकी पूजा-अर्चना में लापरवाही बरती जाए या उन्हें भुला दिया जाए, तो वे रुष्ट हो सकते हैं, जिससे परिवार को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।श्रद्धालुओं आइए जानते है कुलदेवी या कुलदेवता के रुष्ट होने पर कौन कौन सी समस्याएं उत्पन्न होती हैं ।
दुर्घटनाएँ और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश : परिवार में दुर्घटनाओं की बढ़ोतरी, नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं का प्रवेश होने लगता है। और हम असंतुष्ट होने लगते है ।
उन्नति में बाधा : व्यक्तिगत और पारिवारिक उन्नति रुक जाती है, जिससे आर्थिक और सामाजिक प्रगति प्रभावित होती है ।
कलह और अशांति : परिवार में कलह, उपद्रव और अशांति का माहौल बनता है, जिससे पारिवारिक संबंधों में तनाव उत्पन्न होता है।
संस्कारों का क्षय : पारिवारिक संस्कारों और नैतिक मूल्यों में गिरावट आती है, जिससे पीढ़ियों के बीच सांस्कृतिक का नाश होता है । तथा नवयुवक व्यसन जुआ आदि की तरफ अग्रसर होने लगते है ।
इन समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि परिवार अपने कुलदेवी या कुलदेवता की नियमित पूजा-अर्चना करें और उन्हें सम्मान प्रदान करें। यदि किसी को अपने कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में जानकारी नहीं है, तो परिवार के बुजुर्गों, पुजारियों या रिश्तेदारों से संपर्क करके जानकारी प्राप्त की जा सकती है । नियमित पूजा और सम्मान से कुलदेवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे परिवार की सुरक्षा, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है ।
हमें विश्वाश है कि आस्तिक जगता की इस व्याख्या से आप आवश्य संतुष्ट हुए होंगे । इसका उद्देश्य केवल इतना था । ताकि आप अपने गोत्र के अनुसार अपनी कुलमाता को जान सके और किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व अपने कुल के देवी-देवताओं को अवश्य याद करे । हमें उम्मीद है यह पोस्ट पढ़कर आपको आपने कुलदेवी के बारे में पता चल गया होगा । जल्द ही है आस्तिक जगता के माध्यम से हम आप सभी श्रद्धालुओं को अपने कुल के देवी तथा देवताओं को प्रसन्न करने के लिए तथा हर प्रकार की पूजा-अर्चना की विधि को शेयर करेंगे………धन्यवाद
।।हरि शरणं।।