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क्या है मौनी अमावस्या और कब है ?
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व होता है | इस दिन स्नान और दान करना काफी महत्वपूर्ण होता है अमावस्या के दिन पितरों के नाम से तर्पण करने से उन्हें तृप्ति मिलती है | और वह प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं | मौनी अमावस्या के दिन दान

करने से कुंडली में मौजूद किसी भी प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है | माना जाता है की मौनी अमावस्या के दिन संगम मे अमृत का प्रवाह होता है | इसी लिए कारोणों श्रद्धालु इस दिन स्नान करने के लिए देश के अनेक कोने से एकत्रित होते है | इतना ही नहीं अपितु देश के बड़े बड़े संत , साधु , वैरागी , नागा आदि इस संगम मे स्नान करने के लिए करोडो किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के , पहाड़ों गुफाओ से चलकर स्नान करने के लिए आते है | पुनः वही वापास तपस्या के लिए चले जाते है | श्रद्धालुओं हम आपको बताएंगे मौनी अमावस्या का सही शुभ मुहूर्त और पूजा विधि | हिंदू पंचांग के अनुसार आत्म शांति और संयम का पालन करने से मानसिक और आध्यातमिक गुणों मे वृद्धि होती है | पवित्र नदियों में स्नान करने के पश्चात दान देने का विशेष महत्व है | और श्रद्धालु प्रयागराज मे स्थित संगम मे स्नान करेंगे यह दिन सूर्य देव और पितरों की पूजा के लिए उत्तम बताया गया है | मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7:32 पर शुरू होगी और तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6:00 बज कर 5 मिनट पर होगा | ब्रह्म मुहूर्त की बात करें जिसमें आप स्नान और दान करेंगे तो वह 29 जनवरी सुबह 5:25 से लेकर के सुबह 6:18 तक होगा | 29 जनवरी को सुबह 5:51 मिनट से 7:11 तककि अगर बात करें तो अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्नान करना पवित्र होगा | क्योंकि ऐसा कहा जाता है किस दिन गंगा का जल अमृत समान | हो जाता हैइसलिए मौनी अमावस्या के नाम से जो मनुष्य इस दिन व्रत रखता है | उसे समस्त सुखों का अनुभव भगवान स्वयं करते है | मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठाना फलदाई माना जाता है | इस दिन नित्य कर्मों को करने के बाद गंगा नदी में स्नान करें और यदि ऐसा करना संभव न हो तो , नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें | फिर जगत के पालन हार भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के बाद तुलसी मैया की 108 बार परिक्रमा करें उसके उपरांत अपने अगर व्रत हो तो फलाहार करे अन्यथा भोजन करे
मौनी अमावस्या के दिन करे ये 7 कम
1. पुराणों में वर्णन है कि मौनी अमावस्या के दिन संगम में ( अगर संभव नहीं तो घर पर ही ) स्नान करने की तुरंत बाद तांबे के लोटे में जल भरकर भगवान सूर्य को जल दे | पुराणों में बताया जाता है कि भगवान सूर्य कोमौनी अमावस्या के दिन जल देने से मनुष्य की संपूर्ण दरिद्रता का नाश हो जाता है | तथा उसे धन-धन की प्राप्ति होती है |
2. बताया जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन शाम के समय तुलसी के पेड़ की 108 परिक्रमा करें और घी का दीपक जलाकर तुलसी की पूजा करें पुराणों में ऐसा बताया जाता है कि ऐसा करने से साधक के समस्त दुखों का नाश हो जाता है तथा वह स्वर्ग लोक को जाता है |
3. मोनी मौसी के दिन कालसर्प दोष और कालसर्प से छुटकारा पाने के लिए भी उपाय किए जाते हैं | जिसका वर्णन पुराणों में किया जाता है कि चांदी की नाग नागिन की पूजा करें और इसे सफेद फूलों के साथ बहती गंगा में प्रवाहित कर दे |
4. मौनी अमावस्या के दिन पशु पक्षियों का भोजन खिलाना चाहिए , मछलियों को आटे की गोलियां खिलानी चाहिए | पक्षियों के लिए छत पर दाने रख देने चाहिए , और चींटियों को शक्करआदि खिलाना चाहिए | मान्यता है कैसा करने के घर में सुख समृद्धि आती है | जितने ही जीव का इस दिन पेट भर सकते हैं उतने ही भगवान आपसे प्रसन्न होंगे और मौनी अमावस्या स्नान करने का अधिक फल मिलेगा
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5. मौनी अमावस्या कितनेअपने घर में सुख शांति पाने के लिए तथा अपने पितरों को मुक्त करने के लिए आप पिंडदान भी करवा सकते हैं | परंतु ध्यान रहे अगर आप संगम में स्नान कर रहे हैं , तो आप पिंडदान संगम के जल से ही करवाये जिससे पितरों को और भी शांति होगी और आपको मौनी अमावस्या स्नान के दोगुने फल की प्राप्ति होगी |
6. मौनी अमावस्या के स्नान के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य इस दिन गरीबों और जरूरत मंद तथा ब्राह्मणों को अन्न धन और वस्त्र का दान करें | क्योंकि इस दिन राहु केतु और शनि समेत सभी ग्रहो के दोषों का निवारण हो जाता हैऔर स्नान के पुण्य का दो गुना हो जाता है |
7. मोनी मौसी के दिन स्नान करने के बाद मान्यता है की सभी को व्रत रहना चाहिए परंतु सबसे जरूरी बात ! इस दिन बहोत कम बोलना चाहिए , व्रत रहना चाहिए | फलाहार करना चाहिए , और अगर संभव हो तो स्नान करने के पहले बिल्कुल भी नहीं बोलना चाहिए | बिल्कुल मोहन धारण करना चाहिए | और जो लोग व्रत नहीं रहते हैं , वह विधि पूर्वक भोजन कर सकते हैं परंतु जो लोग व्रत रहते हैं उन्हें फलहार करना चाहिए | और कम से कम शब्दों में बात करनी चाहिए संभव हो तो बिल्कुल ही ना बोले
।।हरि शरणं।।