स्वस्थ रहने के लिए जहां उचित दिनचर्या जरूरी है, वहीं उचित खान – पान का भी ध्यान रखना पड़ता है। हमारे धर्म ग्रंथों में भी इन्हीं खानपान से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं जिनमें यह बताया गया है कि किन हिंदी तिथियों में क्या नहीं खाना चाहिए। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही नियम जिन्हें आप ध्यान रख सकते हैं –
- प्रतिपदा को कूष्मांड(कुम्हड़ा/पेठा) और चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।
- द्वितीया को छोटा बैंगन/कटेहरी खाना और चतुर्दशी को तिल का तेल खाना निषिद्ध है, यह जीवन में समस्या देता है।
- तृतीया को परवल खाने से शत्रुओं की वृद्धि होती है।
- पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है।
- षष्ठी को नीम भक्षण करने अर्थात इसकी पत्ती या फल खाने अथवा दातुन करने पर निकृष्ट योनियों की प्राप्ति होती है।
- सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है।
- अष्टमी को नारियल खाने से बुद्धि का नाश होता है।
- नवमी को लौकी खाने से पाप लगता है।
- दशमी को कलम्बी शाक खाना वर्जित है, यह हानि कराता है।
- एकादशी को शिम्बी/सेम खाने से, द्वादशी को पूतिका/पोई खाने से तथा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।